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Thursday 21 July 2011

काहे खून तेरा प्यारे अब खौलता नहीं ---??

काहे खून तेरा प्यारे अब
खौलता नहीं —??
तोड़ लिया कोई फूल तुम्हारा
खाली हो गयी क्यारी
उजड़ जा रहा चमन ये सारा
गुल गुलशन ये जान से प्यारी
खुश्बू तेरे मन जो बसती
मिटी जा रही सारी
पत्थर क्यों बन जाता मानव
देख देख के दृश्य ये सारे
खींच रहा जब -कोई साड़ी
cheer-haran_6412

काहे खून तेरा प्यारे अब
खौलता नहीं —??

(फोटो साभार गूगल देवता /नेट से लिया गया )
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साँप हमारे घर में घुसते
अंधियारे क्यों भटक रहा
जिस बिल से ये चले आ रहे
दूध अभी भी चढ़ा रहा ?
तू माहिर है बच भी सकता
भोला तो अब भी भोला है
दोस्त बनाये घूम रहा
उनसे अब भी प्यार जो इतना
बिल के बाहर आग लगा
बिल में ही रह जाएँ !
काट न खाएं !
इन भोलों को !!
लाठी क्यों ना उठा रहा ??
काहे खून तेरा प्यारे अब
खौलता नहीं —??
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तोड़-तोड़ के पत्थर दिन भर
बहा पसीना लाता
धुएं में आँखें नीर बहाए
आधा पका – बनाता
बच्चों को ही पहले देने
पत्तल जभी सजाता
मंडराते कुछ गिद्ध -बाज है
छीन झपट ले जाते
कल के सपने देख देख के
चुप क्यों तू रह जाता
काहे खून तेरा प्यारे अब
खौलता नहीं —??
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शुक्ल भ्रमर ५
२०.०७.२०११ जल पी बी

८.५५ पूर्वाह्नDE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON

2 comments:

  1. छीन झपट ले जाते
    कल के सपने देख देख के
    चुप क्यों तू रह जाता
    काहे खून तेरा प्यारे अब
    खौलता नहीं ---??
    ..bahut badiya baat kahi aapne!

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  2. आदरणीय कविता जी अभिवादन और धन्यवाद आप का प्रोत्साहन के लिए -हम देखते रह जाते हैं और हमारी गाढ़ी कमाई सब यों ही छीन ले जाते हैं
    शुक्ल भ्रमर ५

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