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Monday 18 July 2011

नक़ल करी -चाही हम बनी महान-








हे सरस्वती माई

कुछ दई - द्या दान !!

नक़ल करी -चाही हम बनी महान !!

तोहरे सा उज्जर चोला

श्वेत बसन धारी हम

करिया जे मन हमरा

कईसे सुधारी

बोला निदान

कुछ दई - द्या दान !!

तोरे सा उड़न खटोला

"चापर" उड़ाई हम

गिरी -परी -तंत्र -मन्त्र -

फेल - रोज- काहे ??

अहम् भगायीं माँ

सूक्ष्म -मूल-मन्त्र कुछ -

नया विज्ञान माँ

दई - द्या दान !!

सुर लहरी -

वीणा की मधुर तान देखि माँ

आरकेष्ट्रा-सतरंगी वाद्य बजायी माँ

इतना रुपिया पईसा हम

क्षण में उड़ाई माँ

काहे कोलाहल -मन भूकम्प आये

ध्वस्त सारी दुनिया

अनु परमाणु बिखर जाये

लाख -लाख वोल्टेज मा

अँधियारा छाये

दुधवा सा चांदनी माँ

जग में लुटावा

कुछ दई - द्या दान !!

सब कुछ रहत माँ

"बेघर" हम बाटी

मनवा में बसि

'परिवार' बसावा

कुछ दिया -कुछ बाती

उजियारा -

कुछ दई - द्या दान !!

नक़ल करी -चाही हम बनी महान-

हे सरस्वती माई

कुछ दई - द्या दान !!

सुरेन्द्रशुक्लभ्रमर५

BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

http://surenrashuklabhramar.blogspot.com

24.03.2011

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