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Sunday 24 July 2011

वेवफाई - (भ्रमर गीत )


हुस्न की देवी को

सर-आँखों से लगा के पूजा !

भक्त पे बरसेंगे कभी फूल

दिल ने था- ये ही सोचा !

कतरे लहू के -कुछ हथेली देखे

दुनिया की बातों को यकीनी पाया !

फूल बन जाते हैं पत्थर भी कभी

सर तो फूटेगा ही " भ्रमर "

ओखली में जो डालोगे कभी !!

शुक्ल भ्रमर ५

जल पी बी १८.७.११ - ८ -मध्याह्न

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DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON

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