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Wednesday 20 July 2011

वेवफाई - (भ्रमर गीत )

बेवफाई ही दुनिया में भरी जा रही -हम आँख मूँद सम्मोहित हो बलि के बकरे सा पीछे -पीछे चल पड़ते हैं -नहीं जानते कहाँ किस ओर कहाँ मंजिल है हमारी -तिलक लगाये हमारी कुछ पूजा करने को फूल माला सजाये वे लिए बढे जाते हैं –और हम न जाने क्यों सब जाना सुना अतीत का अतीत में खोये मन्त्र मुग्ध से प्यार और प्रेम की परिभाषा खोजते एक बियाबान अँधेरे में बढ़ते ही चले जाते हैं तब तक जब तक कि…….
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(फोटो फेस बुक /गूगल/नेट से साभार लिया गया )



















हुस्न की देवी को
सर-आँखों से लगा के पूजा !
भक्त पे बरसेंगे कभी फूल
दिल ने था- ये ही सोचा !
कतरे लहू के -कुछ हथेली देखे
दुनिया की बातों को यकीनी पाया !
फूल बन जाते हैं पत्थर भी कभी
सर तो फूटेगा ही ” भ्रमर ”
ओखली में जो डालोगे कभी !!

शुक्ल भ्रमर ५
अब आगे कुछ क्षणिकाओं का सिला …
भ्रमर का झरोखा दर्द-ये -दिल
जल पी बी १८.७.११ – ८ -मध्याह्न


DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON

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