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Thursday 10 November 2011

गुरु नानक जी और प्रकाश पर्व





गुरु नानक जी के अमूल्य वचन

भगवान की कृपा प्राप्त करने के केवल दो साधन हैं

* मन को निर्मल बनाये रखना !

** भगवान् के पावन नाम का उच्चारण करते रहना !

गृहस्थ में रहते हुए बुराइयों से डरने वाला अच्छे गुणों को धारण करने वाला भगवान् को हर समय याद रखने वाला !

इस प्रकार से ही भव सागर से पार हो सकता है मानव !

गुरु नानक जी और प्रकाश पर्व

धवल चांदनी जग रोशन है

हँसते हुए सितारे

सुमन बरसता - भेज रहे हैं

"पावन-आत्मा"के स्वागत में

माँ टकटकी लगाये

होनहार कब आयें ,,,

आओ घी के दीप जलाएं

गुरु नानक से पूत हमारे

"कोख" अमर कर जाएँ

हो "प्रकाश पर्व " कुछ ऐसा

दीवाली मन जाए

उनकी शिक्षा दीक्षा से हम

जीवन सफल बनायें

प्रेम की धरा बहे जहां इस

बंधन ना हो कोई

सिंध-पाक -अमृतसर चाहे

ननकाना दरबार

मानव-मानवता भर जाए

वीर-सपूत हजार

गुरु-ग्रन्थ साहिब को माथे

रख के करें प्रचार

सत्य धर्म अरु प्यार अहिंसा

कभी ना होए अत्याचार

पंज-आब से धरती अपनी

श्रम से चलो बनाएं

हरियाली-खुशहाल-शांति

हर प्रदेश फैलाएं

चलो गरीबी भूख को भाई

जग से दूर भगाएं

भूख मिटे फिर ना हो चोरी

गुरु शिक्षा से उन्नत हो के

बनें गुरु हम विश्व पटल में

पंख फैलाएं -उड़ जाएँ हम

नभ के तारे छू छू आयें

"मंथन" सागर कर जाएं

शत सहस्त्र हम दीप जलाएं

रोशन मन तन कर जाएं

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल "भ्रमर'

हिमाचल

१०.११.२०११ .४०-.२२ पूर्वाह्न

DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON

2 comments:

  1. आदरणीय मनोज जी हार्दिक अभिवादन और आभार आप का भ्रमर का दर्द और दर्पण में भी स्वागत है --आप सब को भी गुरु पर्व पर ढेर सारी बधाई और शुभ कामनाएं ...
    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण --में भी आप का स्वागत है -हो सके तो अपना सुझाव और समर्थन भी दें

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