
गुरु नानक जी के अमूल्य वचन
भगवान की कृपा प्राप्त करने के केवल दो साधन हैं
* मन को निर्मल बनाये रखना !
** भगवान् के पावन नाम का उच्चारण करते रहना !
गृहस्थ में रहते हुए बुराइयों से डरने वाला अच्छे गुणों को धारण करने वाला भगवान् को हर समय याद रखने वाला !
इस प्रकार से ही भव सागर से पार हो सकता है मानव !
गुरु नानक जी और प्रकाश पर्व
धवल चांदनी जग रोशन है
हँसते हुए सितारे
सुमन बरसता - भेज रहे हैं
"पावन-आत्मा"के स्वागत में
माँ टकटकी लगाये
होनहार कब आयें ,,,
आओ घी के दीप जलाएं
गुरु नानक से पूत हमारे
"कोख" अमर कर जाएँ
हो "प्रकाश पर्व " कुछ ऐसा
दीवाली मन जाए
उनकी शिक्षा दीक्षा से हम
जीवन सफल बनायें
प्रेम की धरा बहे जहां इस
बंधन ना हो कोई
सिंध-पाक -अमृतसर चाहे
ननकाना दरबार
मानव-मानवता भर जाए
वीर-सपूत हजार
गुरु-ग्रन्थ साहिब को माथे
रख के करें प्रचार
सत्य धर्म अरु प्यार अहिंसा
कभी ना होए अत्याचार
पंज-आब से धरती अपनी
श्रम से चलो बनाएं
हरियाली-खुशहाल-शांति
हर प्रदेश फैलाएं
चलो गरीबी भूख को भाई
जग से दूर भगाएं
भूख मिटे फिर ना हो चोरी
गुरु शिक्षा से उन्नत हो के
बनें गुरु हम विश्व पटल में
पंख फैलाएं -उड़ जाएँ हम
नभ के तारे छू छू आयें
"मंथन" सागर कर जाएं
शत सहस्त्र हम दीप जलाएं
रोशन मन तन कर जाएं
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल "भ्रमर'
हिमाचल
१०.११.२०११ ७.४०-८.२२ पूर्वाह्न
शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआदरणीय मनोज जी हार्दिक अभिवादन और आभार आप का भ्रमर का दर्द और दर्पण में भी स्वागत है --आप सब को भी गुरु पर्व पर ढेर सारी बधाई और शुभ कामनाएं ...
ReplyDeleteभ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण --में भी आप का स्वागत है -हो सके तो अपना सुझाव और समर्थन भी दें