BHRAMAR KA JHAROKHA DARD E DIL WELCOMES YOU

Monday, 17 October 2011

सूखी रोटी- -भ्रमर -हिंदी कविता

सूखी रोटी- -भ्रमर -हिंदी कविता

कंधे पर बोरा (जूट का थैला )
वो टाँगे ,
शीत लहर में
सिमटा सा ,
कुछ कागज़ कुछ -
कील व् रद्दी ,
प्लास्टिक शायद
बिनता था ,
नजरें कभी उठाता -
था न . कूरे पर
बस आँखें ,
कभी हँसे कुछ -
बात करे खुद -
पागल सा गाता -
जाता . कभी किसी को -
देखे हँसता ,
दांत श्वेत
चमकाता था ,
मै भौचक्का
खड़ा देखता ,
इस हालत में
पले जिए वो ,
कैसे हँसता ??

भौं भौं कर
जब कुत्ते भूंके ,
नजर गयी उस ओर ,
कुत्ते के संग
वो लड़ता था ,
जैसे कोईचोर

छीना झपटी
किसकी खातिर
ना सोना चाँदी -
बंधी गठरी
में दिखी एक थी ,
सूखी रोटी ,
जो सोने हीरे
से बढ़कर
भूखे को -
बस होती .
८ .१५ मध्याह्न . 17.10.2011
जल (पंजाब ) सुरेंद्र शुक्ला भ्रम्रर



DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON

Wednesday, 12 October 2011

तेरी दवा जहर है हमारे लिए

कुल्लू से आप सभी का स्वागत है थोड़ी सी ठण्ड पहाड़ियों से घिरे मैदान में मेला झूला भीड़ गाजियाबाद नजीबाबाद तक से आई दूकानें हिमाचल के गाँव गाँव से आये देवता दूर दूर से आये डेरा डाले प्रभु श्री राम के दर्शनार्थी भक्त आज देवताओं की फिर गाँव गाँव में वापसी प्रभु से गले मिल सब वापस होंगे गाजे बाजे के साथ जाने के समय फिर गाँव गाँव में प्रधान या बड़े लोगों के यहाँ रुकेंगे फिर अपने गाँव पालकी में सवार देवता की वापसी हर जगह बाजे बजते बारात सा माहौल -उधर कला केंद्र में रूस , ब्राजील , मुबई से आये के के की टीम , अन्य प्रदेशों से आये कलाकार रात में धूम मचाये नौ दिन ….अब विदाई का समय …विदाई में दिल शांत करना होता है ..आशीर्वाद गले मिलना ..गिले शिकवे माफ़ ….प्रभु सब को आशीष दें ये देश कुछ बदले ….जय श्री राम …आइये अब देखें थोड़ी राजनीति और लोगों का कहना …..

तुम्हारी ये सफ़ेद धोती टोपी
अँधेरे में चमक जाती है
दिखा देती है करतूत
लोगों को राह
समझ लो अँधेरे का दस्तूर
काल कोठरी
यहाँ के लोगों का मन
इनका राज
इनका ख्वाब
कुछ दिन कैद में रहो
पाँव में बेंडियाँ डाल
कैद में ??
हाँ नहीं तो नहीं रह पाओगे
इस सडांध में नहीं ढल पाओगे
उड़ जाओगे फुर्र
सीढियां चढ़ जाओगे
दिखाई दोगे सब को
मुह खोलोगे
सच बोलोगे
आग उगलोगे
वो आग जो झोपड़ियों को नहीं जलाती
गरीबों को नहीं छू पाती
जो घातक है कोठियों के लिए
अन्यायी के लिए अन्याय के लिए
मुझसे बीमार के लिए
तेरी दवा जहर है हमारे लिए
हमारी जात पांत के लिए
जिसकी आज भरमार है
तू ईमानदार है
अल्पसंख्यक है
तेरी संसद नहीं बनेगी
न ही कभी तेरी सत्ता चलेगी

शुक्ल भ्रमर ५
१२.११.२०११ यच पी


DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON

Thursday, 6 October 2011

कुल्लू दशहरा घूमें जय प्रभु श्री राम.












आओ मेरे दोस्तों आज कुल्लू दशहरा घूमें जय प्रभु श्री राम....अयोध्या के श्री राम की एक मूर्ति यहाँ भी दर्शन करें



DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON

Sunday, 2 October 2011

ईमानदारी के ये दो रूपये

मेरी एक अलग जाति है
छुआ छूत है मुझसे
अधिकतर लोग किनारा किये रहते हैं
३६ का आंकड़ा है मेरा उनका
नाम के लिए मै
एक पदाधिकारी हूँ एक कार्यालय का
लेकिन चपरासी बाबू सब प्यारे है
दिल के करीब हैं
कंधे से कन्धा मिलाये
ठठाते हैं हँसते बतियाते हैं
पुडिया से दारु ..कबाब
अँधेरी गली के सब राजदार हैं
सुख में सब साथ साथ हैं
सब प्रिय हैं साथी हैं
जो भी मेरे विरोधी हैं
उनके ...अरे समझे नहीं
मेरे प्रबंधक के ....
हमसाये हैं ..हमराही हैं
मेरे मुह से निकली बातें
चुभती हैं
उनके कानों कान जा पहुँचती हैं
चमचों की खनखनाहट
जोर की है
जहां मेरा रिजेक्शन का मुहर लगने वाला हो
फाईल मेरे पास आने से पहले ही
वहां तुरंत अप्रूवल हो जाता है
और मै मुह देखता
दो रोटी की आस में
दो किताबों की चाह में
जो मेरे प्यारे बच्चों तक जाती है
जो दो रूपये कल उनका भविष्य....
ईमानदारी के ये दो रूपये
तनख्वाह के कुछ गिने चुने ....
मुहर ठोंक देता हूँ
कडवे घूँट पी कर
उनकी शाख ऊपर तक है
उनका बाप ही नहीं
कई बाप ...ऊपर बैठे हैं जो
मेरे पंख नोच ..जटायु बना देने के लिए
मैंने रामायण पढ़ा हैं
समझौता कर ...अब जी लेता हूं
अधमरा होने से अच्छा
कुछ दिन जी कर
कुछ तीसरी दुनिया के लिए
आँख बन जाना अच्छा है
शायद कुछ रौशनी आये
मेरी नजर उन्हें मिल जाए
बस जी रहा हूँ ....
अकेले पड़ा सोचता हूँ
नींद हराम करता हूँ
जोश भरता हूँ
होश लाता हूँ
चल पड़ता हूँ .....
गाँधी जी का एक भजन गाते हुए
जोदी तोर डाक सुने केऊ ना आसे
तोबे एकला चोलो रे .....


शुक्ल भ्रमर ५
२.१०.२०११
यच पी


DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON