BHRAMAR KA JHAROKHA DARD E DIL WELCOMES YOU

Sunday, 10 April 2022

दौड़ आंचल तेरे जब मैं छुप जाता था

BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN: दौड़ आंचल तेरे जब मैं छुप जाता था: रूपसी थी कभी चांद सी तू खिली ओढ़े घूंघट में तू माथे सूरज लिए नैन करुणा भरे ज्योति जीवन लिए स्वर्ण आभा चमक चांदनी से सजी गोल पृथ्वी झुलाती जह...
रूपसी थी कभी चांद सी तू खिली
ओढ़े घूंघट में तू माथे सूरज लिए
नैन करुणा भरे ज्योति जीवन लिए
स्वर्ण आभा चमक चांदनी से सजी
गोल पृथ्वी झुलाती जहां नाथती
तेरे अधरों पे खुशियां रही नाचती
घोल मधु तू सरस बोल थी बोलती
नाचते मोर कलियां थी पर खोलती
फूल खिल जाते थे कूजते थे बिहग
माथ मेरे फिराती थी तू तेरा कर
लौट आता था सपनों से ए मां मेरी 
मिलती जन्नत खुशी तेरी आंखों भरी 
दौड़ आंचल तेरे जब मै छुप जाता था
क्या कहूं कितना सारा मै सुख पाता था
मोहिनी मूर्ति ममता की दिल आज भी
क्या कभी भूल सकता है संसार भी
गीत तू साज तू मेरा संगीत भी
शब्द वाणी मेरी पंख परवाज़ भी
नैन तू दृश्य तू शस्त्र भी ढाल भी
जिसने जीवन दिया पालती पोषती
नीर सी क्षीर सी अंग सारे बसी
 आई माई मेरी अम्मा है प्राण सी

सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत 

Sunday, 3 October 2021

विश्व प्रकृति दिवस आओ पेड़ लगाएं

मेरे प्यारे मित्रों आज विश्व प्रकृति दिवस है, प्रकृति है तो हम हैं , प्रकृति की गोद में ही हम फलते फूलते हैं जीते हैं खेलते हैं सीखते हैं विकास करते हैं इस लिए अपनी मां जननी सरीखी इस प्रकृति के लिए सदा हम कुछ करते रहें हरे भरे पेड़ पौधे फूल घाटियां पर्वत झरने चिड़िया जानवर तरह तरह के जीव और प्यारे बच्चे किस का मन नहीं मोह लेते लेकिन जब हम अपने को बहुत ज्ञानी ध्यानी मान प्रकृति और पर्यावरण को दरकिनार कर स्वार्थ वश विध्वंशक चीजों को अपना कर केवल धन कमाने में लगे रहते हैं और प्रकृति की उपेक्षा करते हैं पेड़ पौधे काट डालते हैं तालाब को पाट रहे नदियों को समेट कर वहां घर बना रहे पर्वतों के आधार को अनायास हर तरफ काटे जा रहे तो विभीषिका भी हमारे सामने आती है और हम इंसान इतने ताकतवर हो भी प्रकृति की मार के आगे एक पल नही ठहरते आइए पेड़ लगाएं , सब को तो अपने पास ये अवसर नहीं होगा तो जहां भी अवसर मिले पार्क स्कूल सड़क आदि के पास ही सही , पेड़ लगाएं लगवाएं और यथा संभव उसे बड़े होने तक देख रेख में भी सहयोग देते रहें । 
फिर देखिए अपनी प्रकृति का प्रेम ।
शुभ प्रभात प्रभु कृपा सब पर बनी रहे।

सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़
उत्तर प्रदेश , भारत।




DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON

Tuesday, 20 April 2021

संगिनी हूं संग चलूंगी

संगिनी हूं संग चलूंगी
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जब सींचोगे
पलूं बढूंगी
खुश हूंगी मै
तभी खिलूंगी
बांटूंगी
 अधरों मुस्कान
मै तेरी पहचान बनकर
********
वेदनाएं भी
 हरुंगी
जीत निश्चित 
मै करूंगी
कीर्ति पताका
मै फहरूंगी
मै तेरी पहचान बनकर
*********
अभिलाषाएं 
पूर्ण होंगी
राह कंटक
मै चलूंगी
पाप पापी
भी दलूंगी
संगिनी हूं
संग चलूंगी
मै तेरी पहचान बनकर
*********
ज्योति देने को
जलूंगी
शान्ति हूं मैं
सुख भी दूंगी
मै जिऊंगी
औ मरूंगी
पूर्ण तुझको
मै करूंगी
सृष्टि सी 
रचती रहूंगी
सर्वदा ही
मै तेरी पहचान बनकर
**********
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश ,
भारत

DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON

Monday, 9 March 2020




नफरत की ज्वाला में,
घी का हवन देते,
कुछ लोग,
तस्वीरें बनाते,
आविष्कार करते,
आपस में उलझे हैं,
आग उसने लगाई,
इस ने लगाई,
खुद जली,
बतिया रहे,
बची हुई सांसों को,
सुलगते अंगारों से,
जहरीले धुएं में,
हवा देते,
घुट घुट के जीते हुए,
छोड़ कहीं जा रहे,

हरी भरी तस्वीरें
काली विकराल हुई
मूरत की सूरत में
आंखें बस लाल हुईं
काश कुछ बौछारें,
शीतलता की आएं,
दहकती इन लपटों की
अग्नि बुझाएं,
धुंध धुएं को हटाएं,
पथराई आंखों में आंसू तो आएं
स्नेह की , दया की ,
भूख की प्यास की ,
जीवन के चाह की,
चमक तो जगाएं
सुरेंद्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर' 5







DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON